प्राचार्य की कलम से

(डॉ. हरेन्द्र शर्मा )

01 जुलाई 2016 से महाविघालय के पंचम शैक्षणिक सत्र का प्रारम्भ होना हमारे लिए एक सुखद अनुभूति का विषय है, क्योंकि यह संस्था की शैक्षणिक यात्रा का संस्थापकों, शुभेच्छुओं, छात्रों तथा अभिभावकों की भावनाओं तथा अपेक्षाओं के अनुरूप बने रहने का परिचायक है | विगत वर्षों में ज्ञान-पिपासु छात्र-छात्राओं, सजग-सक्रिय एवं सहयोग परक अभिभावकों की भावनाओं तथा अपेक्षाओं को हमारे योग्य प्रध्यापकों तथा प्राध्यापिकाओं ने अपने अन्वेषणपरक सम्यक शिक्षण, सही मार्ग-दर्शन, कठिन परिश्रम एवं पूर्ण निष्ठा द्वारा हमारे योग्य प्रध्यापकों तथा प्राध्यापिकाओं ने सम्यक ढंग से शिक्षा देने के गुरुतर उत्तरदायित्व का सफलतापूर्वक निर्वाह किया है | इस नूतन सत्र के प्रारम्भ में मैं इन सभी के प्रति कृतज्ञ हूँ और अपनी शुभद भावाभिव्यक्ति करते हुए हर्षातिरेक का अनुभव कर रहा हूँ | हमने महाविघालयमें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए उत्कृष्ट शैक्षणिक प्रवेश तथा अनुशासित वातावरण का निर्माण कर छात्रों को उत्तम अंको के सहित उत्तरीण होने के योग्य बनाने का सफल प्रयास किया है |पुस्तकीय ज्ञान को सर्वोपरि मानकर यंहा अध्ययनरत छात्र-छात्राओं के मनोविज्ञान का यथासंभव मुल्यांकन कर शिक्षणत्तर क्रिया कलापों, वाद-विवादों, निबन्ध लेखन प्रतियोगिता, समूह विमर्श, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, क्रीड़ा आदि के द्वारा उनके व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास करने का निरंतर प्रयास किया जाता है |निश्चितत: यह महाविघालय यंहा अध्ययनरत छात्रों को समाज एवं राष्ट्र के जागरूक नागरिक के रूप में विक्सित करने की दिशा में पुरे मनोयोग एवं निष्ठा से लगा हुआ है | सुदूर ग्रामीणनचल में स्थित इस महाविघालय के संस्थाध्यक्ष के रूप में पूर्ण दायित्वबोध एवं उर्जा के साथ कार्य करते हुए यह अनुभव हुआ है कि आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिभा की बहुलता है, बस आवश्यकता है उन्हें उचित मार्गदर्शन तथा सम्यक ढंग से शिक्षा देने की ताकि वे उचित अवसर पाते ही अपने प्रतिभाव को प्रमाणित कर स्वयं परिवार एवं समाज को गौरवान्वित कर सकें | इस महाविघालय के छात्रों को उनकी क्षमता के अनुकूल कैरियर निर्माण के क्षेत्र का चुनाव करने और तदनुरूप उन्हें योग्य एवं अनुभवी व्यक्तियों अथवा संस्थाओं से मार्गदर्शन दिलाने का हमने निरंतर प्रयास भी किया है | अन्त में विगत शैक्षणिक सत्रों की सफलतम यात्रा के लिए मैं अपने प्रबन्धतंत्र, प्रध्यापकों, प्राध्यापिकाओं, शिक्षणत्तर कर्मचारियों, छात्र-छात्राओं अभिभावकों एवं अन्यान्य आत्मीय जनों के सहयोग के प्रति कृतज्ञा का भाव अर्पित करते हुए भविष्य में उनसे निरंतर सहयोग की अपेक्षा करता हूँ |